Top sidh kunjika Secrets
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सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्रसिद्धिंकुरुष्व मे।।
हुं हुं हुङ्काररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी ।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति दशमोऽध्यायः
अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति।।
इदं तु कुञ्जिकास्तोत्रं मन्त्रजागर्तिहेतवे ।
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा।।
कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्।
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से विपदाएं स्वत: ही दूर हो जाती हैं और समस्त कष्ट से मुक्ति मिलती है। यह सिद्ध स्त्रोत है और इसे करने से दुर्गासप्तशती पढ़ने के समान पुण्य मिलता है।
मम सर्वाभीष्टसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः ।
ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका ।
श्री प्रत्यंगिर अष्टोत्तर शत नामावलि
ऐं click here ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा ॥ ५ ॥
नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।
न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।